तिल्दा नेवरा : एकता परिषद छत्तीसगढ़ विगत कई वर्षो से,जल जंगल जमीन को लेकर वंचित समुदायों के बीच निरंतर हक अधिकार,का प्रयास कर रहा है । वंचित समुदाय की भूमि संबंधित समस्याओं की जानकारी एकत्र करने उनके समाधान के विभिन्न पहलुओं को सरकार के सामने प्रस्तुत करने। शासन के ऊपर व्यापक जन दबाव कायम करने और वंचित समुदाय की भूमि व आजीविका के अधिकार के प्रति जागरूक करने के लिए यह दो दिवसीय भूमि अधिकार प्रशिक्षण चार जिला के प्रतिभागी 25 भाई , बहनों को जिसमें ग्रामीण मुखिया भी शामिल थे। दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन प्रयोग समाज सेवी संस्था सासाहोली तिल्दा में आयोजित किया गया। आदिवासियों की भूमि संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए विशेष कानून वनाधिकार भी है। लेकिन वन अधिकार कानून की जवाबदारी जिन संस्थाओं का है। वह पूर्ण रूप से व्यवस्थित तरीके से कार्य करने में सक्षम नहीं है।
देश में भूमि आंदोलन का सदियों पुराना इतिहास रहा है। आजादी के बाद पूज्य विनोबा भावे द्वारा 60 के दशक में भूदान आंदोलन के बाद ऐसा लग रहा था। कि इस देश में भूमि की समस्याओं का हाल हो गया है। किंतु ऐसा नहीं था। धीरे-धीरे गांव में काम करते हुए। भूमि समस्याओं की जटिलता को पूज्य राजगोपाल जी (संस्थापक सदस्य एकता परिषद,)ने बहुत नजदीकी से अनुभव किया। इन समस्याओं के समाधान के लिए जब भी लोगों से बातचीत की। तो लोगों ने इसे किस्मत का खेल समझाकर चुपचाप बैठे रहने की बात की थी।
ज्ञात हो कि यहां भूमि समस्याओं से पीड़ित लोगों को एकजुट किया। वही जीवन जीने के संसाधनों पर लोगों के अधिकार के लिए। भूमि अधिकार अभियान की शुरुआत कर देश में भूमि आंदोलन को नई दिशा दी। ऐसे लोगों को जिनके पास वनोंपज संकलन और खेती मजदूरी तथा खेती करने के अन्य कोई साधन उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा जिनकी आजीविका का प्रमुख आधार खेती है । और जंगल है उनको विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है । ऐसे में आदिवासियों और वन में रहने वाले की हालत और भी खराब है । इन तमाम लोगों को जमीन बड़े लोगों के द्वारा हड़प ली गई है ।
इन्हीं मुद्दों को लेकर एकता परिषद के साथियों के द्वारा दो दिवसीय भूमि नीति प्रशिक्षण का आयोजन कर। अपने घर का अधिकार को कैसे सरलता से प्राप्त कर पाएंगे। वही सरकारी तंत्र और राजनीतिक लोग कैसे हम लोग सहयोग लेकर इन वंचित समुदायों को हक व अधिकार दिलापाने में सक्षम कैसे होंगे। इस गंभीर विषयों पर मुख्य प्रशिक्षक एवं एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सीताराम सुनवाई, राष्ट्रीय एकता परिषद के सचिव प्रशांत भाई ने दो दिन तक। इन साथियों का घर प्रशिक्षण और बौद्धिक क्षमता विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।
बता दें कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य, वन में निवासरत वनवासियों को सत प्रतिशत उनके जीवन जीने के संसाधन पर उनका अधिकार से संपन्न करना है ।
इस दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का समापन 4 फरवरी को किया गया। प्रशिक्षण में चार जिला से प्रशिक्षार्थी शामिल रहे। जिसमें मंगलुराम जगत गरियाबंद , धर्मेंद्र पुरी पेंड्रा मरवाही से रघुवर दास महान सरगुजा से बृजलाल पंडों कोरबा , निर्मला कुजूर लिली ग्रेस खजूर सविता मरावी पूनम धुर्वे कीर्ति कुमार धुर्वे करमपाल , प्रमिला केरकेट्टा , अमरनाथ ,फूलपति नाग ,फुल सुंदरी ऊईके चित्रलेखा टेकाम, इंदिरा यादव, प्रयोग समाजसेवी संस्था के सचिव मंतराम निषाद ‘
गुडविल हॉस्पिटल रायपुर से के डॉक्टर सत्यजीत साहू , अधिवक्ता संतोष , ठाकुर जी , किसान सभा से सूरज दुबे , रमेश यदु , इस प्रशिक्षण में शामिल रहे । इस सफल सब प्रशिक्षण का संचालन , मुरली दास संत, एकता परिषद प्रदेश संयोजक छत्तीसगढ़, सामिल रहे।भूमि नीति प्रशिक्षण दो दिवसीय गांव कि गांधी घर घर में गांधी तिल्दा नेवरा : एकता परिषद छत्तीसगढ़ विगत कई वर्षो से,जल जंगल जमीन को लेकर वंचित समुदायों के बीच निरंतर हक अधिकार,का प्रयास कर रहा है । वंचित समुदाय की भूमि संबंधित समस्याओं की जानकारी एकत्र करने उनके समाधान के विभिन्न पहलुओं को सरकार के सामने प्रस्तुत करने। शासन के ऊपर व्यापक जन दबाव कायम करने और वंचित समुदाय की भूमि व आजीविका के अधिकार के प्रति जागरूक करने के लिए यह दो दिवसीय भूमि अधिकार प्रशिक्षण चार जिला के प्रतिभागी 25 भाई , बहनों को जिसमें ग्रामीण मुखिया भी शामिल थे। दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन प्रयोग समाज सेवी संस्था सासाहोली तिल्दा में आयोजित किया गया। आदिवासियों की भूमि संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए विशेष कानून वनाधिकार भी है। लेकिन वन अधिकार कानून की जवाबदारी जिन संस्थाओं का है। वह पूर्ण रूप से व्यवस्थित तरीके से कार्य करने में सक्षम नहीं है। देश में भूमि आंदोलन का सदियों पुराना इतिहास रहा है। आजादी के बाद पूज्य विनोबा भावे द्वारा 60 के दशक में भूदान आंदोलन के बाद ऐसा लग रहा था। कि इस देश में भूमि की समस्याओं का हाल हो गया है। किंतु ऐसा नहीं था। धीरे-धीरे गांव में काम करते हुए। भूमि समस्याओं की जटिलता को पूज्य राजगोपाल जी (संस्थापक सदस्य एकता परिषद,)ने बहुत नजदीकी से अनुभव किया। इन समस्याओं के समाधान के लिए जब भी लोगों से बातचीत की। तो लोगों ने इसे किस्मत का खेल समझाकर चुपचाप बैठे रहने की बात की थी। ज्ञात हो कि यहां भूमि समस्याओं से पीड़ित लोगों को एकजुट किया। वही जीवन जीने के संसाधनों पर लोगों के अधिकार के लिए। भूमि अधिकार अभियान की शुरुआत कर देश में भूमि आंदोलन को नई दिशा दी। ऐसे लोगों को जिनके पास वनोंपज संकलन और खेती मजदूरी तथा खेती करने के अन्य कोई साधन उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा जिनकी आजीविका का प्रमुख आधार खेती है । और जंगल है उनको विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है । ऐसे में आदिवासियों और वन में रहने वाले की हालत और भी खराब है । इन तमाम लोगों को जमीन बड़े लोगों के द्वारा हड़प ली गई है । इन्हीं मुद्दों को लेकर एकता परिषद के साथियों के द्वारा दो दिवसीय भूमि नीति प्रशिक्षण का आयोजन कर। अपने घर का अधिकार को कैसे सरलता से प्राप्त कर पाएंगे। वही सरकारी तंत्र और राजनीतिक लोग कैसे हम लोग सहयोग लेकर इन वंचित समुदायों को हक व अधिकार दिलापाने में सक्षम कैसे होंगे। इस गंभीर विषयों पर मुख्य प्रशिक्षक एवं एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सीताराम सुनवाई, राष्ट्रीय एकता परिषद के सचिव प्रशांत भाई ने दो दिन तक। इन साथियों का घर प्रशिक्षण और बौद्धिक क्षमता विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। बता दें कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य, वन में निवासरत वनवासियों को सत प्रतिशत उनके जीवन जीने के संसाधन पर उनका अधिकार से संपन्न करना है । इस दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का समापन 4 फरवरी को किया गया। प्रशिक्षण में चार जिला से प्रशिक्षार्थी शामिल रहे। जिसमें मंगलुराम जगत गरियाबंद , धर्मेंद्र पुरी पेंड्रा मरवाही से रघुवर दास महान सरगुजा से बृजलाल पंडों कोरबा , निर्मला कुजूर लिली ग्रेस खजूर सविता मरावी पूनम धुर्वे कीर्ति कुमार धुर्वे करमपाल , प्रमिला केरकेट्टा , अमरनाथ ,फूलपति नाग ,फुल सुंदरी ऊईके चित्रलेखा टेकाम, इंदिरा यादव, प्रयोग समाजसेवी संस्था के सचिव मंतराम निषाद ‘ गुडविल हॉस्पिटल रायपुर से के डॉक्टर सत्यजीत साहू , अधिवक्ता संतोष , ठाकुर जी , किसान सभा से सूरज दुबे , रमेश यदु , इस प्रशिक्षण में शामिल रहे । इस सफल सब प्रशिक्षण का संचालन , मुरली दास संत, एकता परिषद प्रदेश संयोजक छत्तीसगढ़, सामिल रहे।