जगदलपुर(जयराम धीवर) 04 अगस्त : आज श्रावण अमावश्या के अवसर पर बस्तर दशहरा पर्व का शुभारंभ पाटजात्रा विधान के साथ हो गया। ज्ञात हो कि 75 दिनों तक चलने वाली बस्तर दशहरा में न ही रावण दहन किया जाता है और न ही यहां रामलीला का आयोजन है, बस्तर दशहरा में यहां पर बस्तर की अराध्यदेवी आदिशक्ति माँ दन्तेश्वरी की विधिविधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। मां दन्तेश्वरी मंदिर के पुजारी पंडित उदय चन्द पानीग्राही ने बताया कि इस वर्ष बस्तर दशहरा पर्व 77 दिनों का होगा।
आज हरियाली अमावस्या के दिन पाट जात्रा पूजा विधान में जगदलपुर स्थित माँ दतेश्वरी मंदिर के सामने बस्तर जिले के ग्राम बिलोरी के जंगल से लाए साल वृक्ष का एक लकड़ी, जिसे स्थानीय भाषा में टूरलू कहा जाता है का विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना की गई।
पूजा विधान के दौरान मोंगरी मछली एवं बकरे की बलि भी दिया गया।
इस विधान के साथ ही सबसे लम्बे समय तक चलने वाली 75 दिवसीय बस्तर दशहरे का शुभारंभ हो गया। आज जिस टूरलू लकड़ी का विधिनविधान पूर्वक पूजा अर्चना किया गया उस लकड़ी से विशालकाय दो मंजिला रथ के महत्वपूर्ण अंग बनाया जाता है।
बता दे कि पाटजात्रा के अवसर पर बस्तर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप सहित अनेक जनप्रतिधि एवं बस्तर संभाग के मांझी, चालकी, पुजारी, रावत, मेम्बर-मेम्बरीन, तथा तदर्थ टेम्पल कमेटी के सदस्यों के साथ भारी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
गौरतलब हो कि बस्तर दशहरा पर्व के प्रमुख पूजा विधानों को निर्धारित तिथि अनुसार सम्पन्न की जाती है। जिसके तहत आगामी 16 सितम्बर को डेरी गड़ाई रस्म, 02 अक्टूबर को काछनगादी पूजा विधान, 03 अक्टूबर को कलश स्थापना एवं 04 अक्टूबर को जोगी बिठाई रस्म पूरी की जाएगी।
इसके बाद 10 अक्टूबर को बेल पूजा,11 अक्टूबर को निशा जात्रा एवं महालक्ष्मी पूजा विधान,12 अक्टूबर को कुंवारी पूजा विधान, जोगी उठाई और मावली परघाव पूजा विधान होगी। दशहरा पर्व के दौरान 13 अक्टूबर को भीतर रैनी पूजा एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान, 14 अक्टूबर को बाहर रैनी पूजा विधान, 15 अक्टूबर को काछन जात्रा और मुरिया दरबार तथा 16 अक्टूबर को कुटुम्ब जात्रा पूजा विधान पूरी की जायेगी। 19 अक्टूबर को माई दन्तेश्वरी की विदाई के साथ ही विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व सम्पन्न होगी।