तिल्दा-नेवरा। मौत की गारंटी है इसलिए मौत की तैयारी करनी चाहिए। मनुष्य खाली हाथ आता है और खाली हाथ ही जाता है उनका केवल कर्म ही साथ देता है। हमें जाने की तैयारी करनी चाहिए, रहने की नहीं। कर्म ही जीव को राक्षस बनाता है और कर्म ही देवता बनाता है। उक्त उदगार कथावाचक पंडित परमानंद शास्त्री मढ़ी वाले की है। ठाकुरदेव चौक मढ़ी में समस्त मोहल्ला वासियों की ओर से आयोजित हो रही संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह के तीसरे दिवस रविवार को भगवताचार्य ने कपिल जन्म, सती कथा, शिव पार्वती विवाह प्रसंग का वर्णन किया। भागवत कथा के दौरान कथावाचक ने शिव-पार्वती विवाह का सचित्र प्रसंग सुनाया। उन्हाेंने कहा कि विवाह संस्कार पवित्र संस्कार है, लेकिन आधुनिक समय में प्राणी संस्कारों से दूर भाग रहा है। जीव के बिना शरीर निरर्थक होता है, ऐसे ही संस्कारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं होता। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि हमें भी आत्मविश्वास से ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए, क्योंकि आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है। भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए। इस संसार के लोगों का कोई भरोसा नहीं है। कब कौन धोखा दे दे कुछ कहा नहीं जा सकता। इसलिए सिर्फ़ ईश्वर पर ही भरोसा करना चाहिए। कथा में भूतों की टोली के साथ नाचते-गाते हुए शिवजी की बारात आई। बारात का भक्तों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। शिव-पार्वती की सचित्र झांकी सजाई गई थी।
विधि-विधान पूर्वक विवाह सम्पन्न हुआ। महिलाओं ने मंगल गीत गाए और विवाह की रस्म पूरी हुई। महाआरती के बाद महाप्रसादी का वितरण किया गया। भागवत कथा 02 मार्च तक प्रतिदिन दोपहर 01 से सायं 05 बजे तक चलेगी।संसार के लोगों पर नहीं ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए : पं. परमानंद शास्त्री तिल्दा-नेवरा। मौत की गारंटी है इसलिए मौत की तैयारी करनी चाहिए। मनुष्य खाली हाथ आता है और खाली हाथ ही जाता है उनका केवल कर्म ही साथ देता है। हमें जाने की तैयारी करनी चाहिए, रहने की नहीं। कर्म ही जीव को राक्षस बनाता है और कर्म ही देवता बनाता है। उक्त उदगार कथावाचक पंडित परमानंद शास्त्री मढ़ी वाले की है। ठाकुरदेव चौक मढ़ी में समस्त मोहल्ला वासियों की ओर से आयोजित हो रही संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह के तीसरे दिवस रविवार को भगवताचार्य ने कपिल जन्म, सती कथा, शिव पार्वती विवाह प्रसंग का वर्णन किया। भागवत कथा के दौरान कथावाचक ने शिव-पार्वती विवाह का सचित्र प्रसंग सुनाया। उन्हाेंने कहा कि विवाह संस्कार पवित्र संस्कार है, लेकिन आधुनिक समय में प्राणी संस्कारों से दूर भाग रहा है। जीव के बिना शरीर निरर्थक होता है, ऐसे ही संस्कारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं होता। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि हमें भी आत्मविश्वास से ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए, क्योंकि आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है। भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए। इस संसार के लोगों का कोई भरोसा नहीं है। कब कौन धोखा दे दे कुछ कहा नहीं जा सकता। इसलिए सिर्फ़ ईश्वर पर ही भरोसा करना चाहिए। कथा में भूतों की टोली के साथ नाचते-गाते हुए शिवजी की बारात आई। बारात का भक्तों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। शिव-पार्वती की सचित्र झांकी सजाई गई थी। विधि-विधान पूर्वक विवाह सम्पन्न हुआ। महिलाओं ने मंगल गीत गाए और विवाह की रस्म पूरी हुई। महाआरती के बाद महाप्रसादी का वितरण किया गया। भागवत कथा 02 मार्च तक प्रतिदिन दोपहर 01 से सायं 05 बजे तक चलेगी।