सरायपाली (सुरोतीलाल लकड़ा) : सरायपाली के निष्क्रिय विधायक के आमरण अनसन को लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं महिला मोर्चा के प्रदेश प्रभारी श्रीमती सरला कोसरिया ने अपने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि सरायपाली विधायक चातुरी नंद का बिजली कटौती और गौरव पथ को लेकर अनसन पर बैठना अपनी और विगत पांच साल के कांग्रेस सरकार की नाकामियों को छुपाना है। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी के 15 साल के कार्यकाल में सरप्लस 24 घंटे बिजली मिलती थी. परंतु जब 2018 में कांग्रेस की भूपेश सरकार में आने के बाद बिजली बिल हाफ का नारा दिया गया, परन्तु बिजली बिल हाफ न होकर बिजली को ही हाफ कर दिया यहाँ तक एकल बत्ती कनेक्शन धारी ग्राहकों को भी भारी भरकम बिजली का बिल थमा दिया गया और बिजली बिल नही पटाये जाने पर पूरे गांव का ही कई दिनों तक बिजली काट दिया गया। भूपेश सरकार के पांच साल में न ट्रांसफार्मर लगे और न ही स्थायी कनेक्शन दिया गया है। इनके सरकार के कार्यकाल के समय न अधिकारी और न ही कोई जनप्रतिनिधि सुनने को तैयार थे। गरीबी दुखियों को उनके हाल में धकेल कर अंधेरे में रहने को मजबूर कर दिया गया था। छत्तीसगढ़ की बिजली,कोयला और प्राकृतिक संसाधनों को बड़े-बड़े उद्योगपति, मिलर्स और अन्य राज्य को बिजली बेंचकर मोटी कमाई अपने जेब मे भरती थी।
श्रीमती कोसरिया ने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की मोदी की गारंटी और विष्णु का सुशासन है कांग्रेस सरकार के द्वारा फैलाई गई अव्यस्थाओं को ठीक करेगी। विधायक को आमरण अनसन करने के बजाय क्षेत्र की जनता के समस्याओं से रूबरू होकर क्षेत्र के विकास के लिए काम करना चाहिए परंतु विधायक के द्वारा क्षेत्र की जनता की चिंता को छोड़कर अपनी चिंता में लगी हुई है और अपना चलने चलाने को लेकर साथ ही अपनी निष्क्रियता और नाकामियों को छुपाने के लिए अनसन पर बैठी है। गौरव पथ सरायपाली नगर की वर्षो पुरानी मांग थी जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी ने लगभग 42 लाख की स्वीकृति दी थी सत्ता परिवर्तन के बाद भूपेश सरकार इसे पांच सालों तक रोके रही पुनः छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आने पर यह गौरव पथ का निर्माण कार्य शुरू हो पाया है जिसे झूठी शिकायत कर निष्क्रिय विधायक सरायपाली के विकास कार्य मे बाधा डालने का काम कर रही है। केंद्र की मोदी सरकार पेयजल की व्यवस्था के लिए हर पंचायत में 1 से 3 करोड़ रुपये दी गई है साथ ही गरीबों के आवास के लिए प्रधानमंत्री आवास के तहत 18 लाख आवास की राशि भी दी गई थी परंतु कांग्रेस सरकार मोदी का नाम हो जाएगा करके इसे भी अटकाती और लटकाई रही और 18 लाख आवास के राशि को वापस केंद्र सरकार को भेज दिया गया।