यूपी: हाथरस में सत्संग के दौरान
भगदड़, 116 से ज्यादा लोगों की मौत,यह बढने की भी आशंका,हजारों लोग हास्पिटल मे भर्ती तो वही अस्पताल में लगा शवों का ढेर। कोई प्रवचनकर्ता पर लगा रहा आरोप तो कोई पुलिस प्रशासन तो कोई आयोजको पर थोप रहा। पर है यह बहुत बडी भगदड पर हुई हादसा।
बता दे कि बीते कल 2 जूलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस स्थित रतिभानपुर में सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई। भगदड़ मचने से 116 से ज्यादा लोगों की मौत की आशंका बताई जा रही है। वही प्रशासन ने अब तक 116 लोगों की मौत की पुष्टि कर दी है। हादसे में मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
इस हादसे पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय ने जिला प्रशासन को घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाकर उनके उपचार कराने और मौके पर राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने एडीजी आगरा और कमिश्नर अलीगढ़ के नेतृत्व में घटना के कारणों की जांच के निर्देश दिए हैं। सीएम योगी के निर्देश के बाद सरकार के दो वरिष्ठ मंत्री और मुख्य सचिव के साथ डीजीपी भी घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं।
गौरतलब हो कि यहा के सुप्रसिद्ध भोलेबाबा का सत्संग का आयोजन किया गया था। जिससे लोग बहुत प्रेरित होकर उनके प्रवचन सुनने के लिए आतुर रहते हैं। इस प्रकार से हाथरस मे उनका सत्संग चलरहा था। जहां कथीत भोलेबाबा के द्वारा दिये गये प्रवचन में यह कहां गया था। कि प्रवचन के बाद आप मेरे चरण रज, चरण दूली को जरूर प्राप्त करना। मेरे इस चरण रज को किसी पडीत बिमार, परेशान, अशांत लोगो के माथे पर लगा देना। इससे उसकी सारी समस्याएं दूर हो जायेगी। इस प्रकार से जैसे ही भोलेबाबा का सत्संग समाप्त हुआ। वैसे ही लोगो की भीड उसकी चरण रज को पाने के लिए दौड पडे। जिसमे लोगों मे देखते देखते भगदड़ मच गया। जिसमे सैकडो लोगों की मौत हो गई। वही बहुतो को इलाज कराया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के इस हाथरस इलाका पहले से ही विवादो मे रहा है। इस घटना से यह दुसरी बार चर्चा में आगया है। सुत्रो के मुताबिक यहां इस घटना की जिम्मेदारी कोई भोलेबाबा के उपर लगा रहा है। तो कोई पुलिस प्रशासन पर। तो कोई आयोजको पर। इस घटना के बाद से भोलेबाबा नदारद है। वह बिल्कुल भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी नही समझते हुए। गायब हो गया है। जबकि सत्संग उसीका था। तो मानवता के नाते उनको इस घटना पर संवेदना प्रकट करने चाहिए। चाहे प्रत्यक्ष हो या मिडिया के माध्यम से हो।
कहने वाले तो ये भी कह रहे हैं कि लोगो को गर्मी उमश लाखो की भीड को ध्यान में रखते हुए। सत्संग में शामिल होने चाहिए थे। इस प्रकार से गलती उनकी भी है। की अयसी भी क्या अंधभक्ती जिसमे लोग अपने ही बारे में न सोचे। और जानबूझकर इस भारी भीड भरी महौल मे जा कूदे।