राजनांदगांव : प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया पैनलिस्ट ने प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद राजनांदगांव नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार आते ही उन्होंने प्रदेश भर में कांग्रेस के महापौर व एम आई सी सदस्यों को दरकिनार करने का काम किया है इसी तरह राजनांदगांव नगर निगम में भी हुआ है निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की जा रही है महापौर व एम आई सी को दरकिनार कर काम किया जा रहा है, नगर निगम में मनमानी चरम सीमा पर है पहले ही अवैध प्लॉटिंग पर दिखावे की कार्यवाही, भवन अनुज्ञा में गड़बड़ी, कर्मचारियों के वेतन में देरी इत्यादि की शिकायतें आती रही हैं ठेकेदारों का साल साल भर पुराना भुगतान भी नही हो पा रहा है, झारखंड की एक कंपनी कर्मचारियों को बिना भुगतान किए पूरे शहर का डेटा ले कर भाग गई है यह सब बड़े मुद्दे हैं व इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है व आगे और भी करना पड़ सकता है ।
उन्होंने यह भी कहा कि एक ओर जहां निगम में इतनी सब समस्याएं हैं वहीं आयुक्त मनमानी में व्यस्त हैं साल भर पहले ही प्रत्येक वार्ड के लिए डेढ़ लाख की लाइट खरीदी गई थी उसके बाद अभी फिर से एक करोड़ की लाइट खरीदना समझ से बाहर उसके बाद लाखो की मशीन खरीदी जा रही है जिसकी निविदा प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे हैं तो सवाल यह है कि जिस समय निगम में पैसों की इतनी कमी बताई जा रही है तो फिर यह सब फ़िज़ूलख़र्ची क्यों और तो और खबरों के मुताबिक आयुक्त की मनमानी इस हद तक बढ़ गयी है की निगम की एक महिला उप यंत्री पर कार्यवाही को ले कर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के आदेश को भी उन्होंने नज़रअंदाज़ कर दिया है इतना सब होने के बाद भी एक भी भाजपाई पार्षद जो कि निगम में विपक्ष की भूमिका में हैं एक शब्द नही कह रहे, ज्ञात हो कि आयुक्त की पूर्व के एक भाजपा पार्षद को तमाचा मारने की बात भी सामने आई थी जिसको ले कर एफ आई आर भी किया गया था इतने सब के बाद भी भाजपा पार्षदों की चुप्पी आश्चर्यजनक है जबकि इस मनमानी के खिलाफ आवाज़ उठाने का काम कांग्रेस ने किया है इससे यह भी सवाल है कि क्या भाजपाई पार्षद पूरी तरह आयुक्त के सामने सरेंडर हो चुके हैं और अगर हां तो किस वजह से।