तिल्दा नेवरा : छत्तीसगढ़ की पारंपरिक त्योहार छेरछेरा मांगने बच्चे बुजुर्ग जवान गए द्वार द्वार आज छत्तीसगढ़ की पारंपरिक त्यौहार छेरछेरा है यह त्यौहार प्रतिवर्ष पौष मांघ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है यह त्यौहार किसान की नई फसल होने की खुशी में मनाते हैं किसान साल भर खेतों में मेहनत करके फसल उगते हैं जिसे काटकर घरों में ले जाकर इकट्ठा करते हैं किसान अपनी मेहनत से उगाई धान को दान करके त्यौहार मनाते हैं बच्चे बुजुर्ग जवान सभी मांदर झांझ के साथ गाना गाते नाचते बजाते घर-घर जाकर धान मांगते हैं और सभी एक स्वर में कहते हैं।छेरछेरा,माई कोठी,धानला, हेर हेरा, किसानो के घर में जो भी दान मांगने आता है वह खाली हाथ वापस नहीं जाता। ,तिल्दा नेवरा : छत्तीसगढ़ की पारंपरिक त्योहार छेरछेरा मांगने बच्चे बुजुर्ग जवान गए द्वार द्वार आज छत्तीसगढ़ की पारंपरिक त्यौहार छेरछेरा है यह त्यौहार प्रतिवर्ष पौष मांघ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है यह त्यौहार किसान की नई फसल होने की खुशी में मनाते हैं किसान साल भर खेतों में मेहनत करके फसल उगते हैं जिसे काटकर घरों में ले जाकर इकट्ठा करते हैं किसान अपनी मेहनत से उगाई धान को दान करके त्यौहार मनाते हैं बच्चे बुजुर्ग जवान सभी मांदर झांझ के साथ गाना गाते नाचते बजाते घर-घर जाकर धान मांगते हैं और सभी एक स्वर में कहते हैं।छेरछेरा,माई कोठी,धानला, हेर हेरा, किसानो के घर में जो भी दान मांगने आता है वह खाली हाथ वापस नहीं जाता। ,