प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए युवाओं को कलेक्टर एसपी और सीईओ ने दिये टिप्स

Rajendra Sahu
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दंतेवाड़ा : नवीन ग्रंथालय में आज दंतेवाड़ा धाम प्रबंधन सोसाइटी एवं बचपन बनाओं स्वयं सेवी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘‘अनुभव की पाठशाला‘‘ कार्यशाला में कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी,एसपी गौरव राय एवं जिला पंचायत सीईओ कुमार बिश्वरंजन प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे। युवाओं से रूबरू हुए। और उनके द्वारा परीक्षाओं की पुर्व तैयारियां,कोचिंग की आवश्यकता,महाविद्यालय एवं प्रतियोगी परीक्षा में अंतर,पठन सामग्री की गुणवत्ता,पढ़ने तरीके जैसे विषय वस्तुओं पर युवाओं से सीधे चर्चा किया।

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बता दे कि सर्वप्रथम इस संबंध में कलेक्टर ने अपने पढ़ाई के अनुभवों को बे-बाकी से साझा करते हुऐ। कहा कि सही रणनीति,निश्चित लक्ष्य एवं समय बद्ध तैयारी से किसी भी प्रकार की परीक्षा में सफलता हासिल किया जा सकता है।यह महज धारणा है कि बडे़-बड़े शहरों के कोचिंग संस्थानों से पढ़ाई करके सफलता मिल सकती है।अब तो दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्रों के रहने वाले छात्र भी ‘‘यूपीएससी‘‘ जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाओं में सफल हो रहे है। हर किसी के लिए परीक्षाओं की तैयारियां एक समान नहीं रहती केवल संकल्प एवं दृढ़ इच्छाशक्ति और जुनुन से हर कोई सफल हो सकता है। अतः गलतियों से सीखें और उसमें सुधार करें। इसके अलावा अधिक भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है।

आगे उन्होंने छात्रों को सलाह दिया कि वे सर्वप्रथम संबंधित विषय के पाठ्यक्रम एवं पढ़ाई के आधारभूत विषय वस्तु पर ध्यान केन्द्रित करें। क्योंकि इन परीक्षाओं में हमें विशेषज्ञ या ज्ञाता बनना नहीं बल्कि रैंक लाना होता है। कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक ने भी छात्रों प्रेरित करते हुए। कहा कि परीक्षाओं की तैयारियों में लगे छात्रों छोटे-छोटे नोट्स अवश्य बनाये इससे रिविजन आसानी होती है। किसी भी टॉपिक को निश्चित अंतराल के बाद दोहराया जाए। तो टॉपिक जल्दी याद होते है। इसके अलावा मुख्य परीक्षा से पहले आपस में ग्रुप बना कर छोटे-छोटे मॉक टेस्ट अवश्य देते रहें। इससे भी तैयारियां बेहतर होती है।

इस मौके पर जिला पंचायत सीईओ ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए। कहा कि अब तो प्रतियोगी छात्र इंटरनेट माध्यम से तमाम तरह की अद्यतन जानकारी से अपडेट हो सकते है। इसके अलावा रोजाना अखबार पढ़ने की आदत डालें। क्योंकि पढ़ाई की तैयारी के कई माध्यम है। यह हमारे ऊपर निर्भर है और कि हम कौन से माध्यम का चयन करते है।

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