तिल्दा : तिल्दा नेवर शहर में छत्तीसगढ़ सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी कोच्चिया प्रथा बंद होते हुए नजर नहीं आ रही है। यहां गली-गली में अवैध शराब की बिक्री हो रही है। जिसपर लगाम लगा पाना मुश्किल है। वही जिम्मेदार अधिकारी आंख बंद करके बैठे हुए हैं। शहर का ऐसा कोई गली नहीं होगा। जहां नशा के नाम पर कुछ न बिकता होगा। शराब , गंजा ,नशीली दवाइयां ,हर गली मोहल्ले में बिकते हुए। नजर आ जाएंगे। सोचने की बात यह है कि इन कोचिंयो को शराब घर पहुंच कहां से उपलब्ध होती है। क्योंकि इतनी संख्या में एक बार में तो शराब लाकर नहीं रखी जा सकती है। नेवर से लेकर तिल्दा बस्ती तक इन शराब कोचियो के चंगुल में फंसा हुआ है। रेलवे फाटक के पास तो खुले आम गांजा और शराब बेची जाती है। लेकिन पुलिस प्रशासन वहां से अपने आंख बंद करके निकल जाती है। पुलिस प्रशासन की कार्यवाही का डर इन लोगों को बिल्कुल भी नहीं है। अगर कार्यवाही की भी जाती है। तो क्या सुबह को पकड़े और शाम तक जमानत में वापस छूट जाते हैं। अगर ऐसा ही चला रहा तो शहर कुछ दिनों के बाद अपराध का गढ़ बन जाएगा। एक ओर जहां युवाओं को शासन के द्वारा योजना बनाकर रोजगार उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है। वहीं दूसरी ओर शहर में अवैध शराब बिक्री करने वाले युवाओं को नशे की ओर ढकेलेने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे है। युवा पीढ़ी को देश की रीढ़ की हड्डी कही जाती है। लेकिन आज अधिकतर युवा भ्रमित होकर नशे की ओर बढ़ता हुआ। नजर आ रहा है। जो एक सभ्य समाज के लिए चिंतन का विषय है।
बता दें कि इस अवैध शराब बिक्री के संदर्भ में तिल्दा नेवरा के थानेदार से फोन के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।तिल्दा : तिल्दा नेवर शहर में छत्तीसगढ़ सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी कोच्चिया प्रथा बंद होते हुए नजर नहीं आ रही है। यहां गली-गली में अवैध शराब की बिक्री हो रही है। जिसपर लगाम लगा पाना मुश्किल है। वही जिम्मेदार अधिकारी आंख बंद करके बैठे हुए हैं। शहर का ऐसा कोई गली नहीं होगा। जहां नशा के नाम पर कुछ न बिकता होगा। शराब , गंजा ,नशीली दवाइयां ,हर गली मोहल्ले में बिकते हुए। नजर आ जाएंगे। सोचने की बात यह है कि इन कोचिंयो को शराब घर पहुंच कहां से उपलब्ध होती है। क्योंकि इतनी संख्या में एक बार में तो शराब लाकर नहीं रखी जा सकती है। नेवर से लेकर तिल्दा बस्ती तक इन शराब कोचियो के चंगुल में फंसा हुआ है। रेलवे फाटक के पास तो खुले आम गांजा और शराब बेची जाती है। लेकिन पुलिस प्रशासन वहां से अपने आंख बंद करके निकल जाती है। पुलिस प्रशासन की कार्यवाही का डर इन लोगों को बिल्कुल भी नहीं है। अगर कार्यवाही की भी जाती है। तो क्या सुबह को पकड़े और शाम तक जमानत में वापस छूट जाते हैं। अगर ऐसा ही चला रहा तो शहर कुछ दिनों के बाद अपराध का गढ़ बन जाएगा। एक ओर जहां युवाओं को शासन के द्वारा योजना बनाकर रोजगार उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है। वहीं दूसरी ओर शहर में अवैध शराब बिक्री करने वाले युवाओं को नशे की ओर ढकेलेने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे है। युवा पीढ़ी को देश की रीढ़ की हड्डी कही जाती है। लेकिन आज अधिकतर युवा भ्रमित होकर नशे की ओर बढ़ता हुआ। नजर आ रहा है। जो एक सभ्य समाज के लिए चिंतन का विषय है। बता दें कि इस अवैध शराब बिक्री के संदर्भ में तिल्दा नेवरा के थानेदार से फोन के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।