मुख्यमंत्री साय के सु सुशासन से खुश हैं किसान : सरला कोसरिया

Rajendra Sahu
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सरायपाली (सुरोतीलाल लकड़ा) : राज्य महिला आयोग छत्तीसगढ़ शासन के सदस्य एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सरला कोसरिया ने धान खरीदी को लेकर कांग्रेस सरकार के द्वारा अनेक प्रकार की अफवाह और किए गए धरना प्रदर्शन को कांग्रेस का एक और सुपर फ्लॉप शो बताते हुए कहा कि कांग्रेस ऐसी लाख सियासी ड्रामेबाजी कर ले, लेकिन वह प्रदेश के किसानों को अपने झूठ से कतई गुमराह नहीं कर पाएगी। प्रदेश का एक एक अन्नदाता किसान आज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की धान धरीदी नीति से खुश है ।

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बता दे कि धान खरीदी को लेकर कांग्रेस अपने शासनकाल के कुकर्मो पर पर्दा डालने के लिए अब किसानों को उकसाने का अनेक तरह से प्रयास कर रही है और प्रदेश में अराजकता फैलाने की नाकाम कोशिश कर रही है। सरला कोसरिया ने आगे कहा कि कांग्रेस बारदाना,टोकन और तौल को लेकर मिथ्या प्रलाप करने में लगी है । कांग्रेस को यह नही भुलना चाहिए कि उसके शासनकाल में धान खरीदी में समितियों मे तौल को लेकर व्यापक स्तर पर गड़बड़ी की शिकायत पूरे प्रदेश से आ रही थी।

सरला कोसरिया ने आगे यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ के भोले भाले किसानों को कांग्रेस की भूपेश सरकार ने धान धरीदी के लिए बारदाना एवं अन्य आवश्यक व्यवस्था करने बजाय, अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए हर साल बारदाना के नाम पर केंद्र सरकार पर ही ठीकरा फोड़ने में लगी रहती थी और किसानों और जनता को बरगलाने के लिए हर बात बात पर केंद्र सरकार चिट्ठी लिखती रहती थी , लेकिन छत्तीसगढ़ की जनता और किसान भूपेश सरकार की नापाक इरादों जान चुकी थी जिसकी जवाब 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जनादेश देकर सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। आज मोदी की गारंटी और विष्णु के सुशासन में धान खरीदी को लेकर किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नही हो रही है , न बारदाने का संकट और न ही टोकन का संकट है। पहले कांग्रेस सरकार में बैठे हुए लोग किसान की चिंता छोड़ अपने अपने लोगो की चिंता और टोकन काटती थी परंतु अब “तुंहर हाथ तुंहर टोकन” एप्प के जरिये किसानों ने हजारों टोकन काट रहे है। पिछले साल के 130 लाख मीट्रिक टन के विरुद्ध इस वर्ष प्रदेश की भाजपा सरकार ने 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है, जो कि पिछले साल से 30 लाख मीट्रिक टन अधिक है। इस वर्ष छत्तीसगढ़ में 27.60 लाख किसानों ने अपना पंजीयन कराया है और रकबा के हिसाब से पिछले साल की तुलना में इस वर्ष किसानों ने लगभग 3.80 लाख एकड़ अधिक भूमि पंजीयन कराया है।

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