तिल्दा नेवरा : सवनाही( सावन आही) सावन महीना लगे के पहली अऊ आषाढ़ महीना के आखरी इतवार म। घर के बाहिर, कोठार, रेंगान, बियरा, जम्मों डहन के भिथिया में गोबर से आदमी अऊ हनुमान जी के चिन्हा बेंदरा बनाय जाथे।
काबर की सावन के महीना ह झड़ी बादर के संगे संग खेती किसानी के जांगर टोर बुता होथे। अऊ आदमी एहि कारण बीमार घलो ज्यादा पड़थे। रोग बीमारी से बचे खातिर गोबर से आदमी बेंदरा ( हनुमान) बनाय जाथे। जेकर बर गोबर के उपयोग करथे। गोबर ल शुद्ध माने जाथे। काबर की गोबर ल पूजा बर उपयोग हो, चाहे नजर उतारे के टोटका बर उपयोग करे जाथे। एही सेती सावन के पहली भीथिया मन में गोबर से ये चित्र बनाए जाथे।
एकर बाद गांव में सवनाही तिहार मनाए जाते बैगा द्वारा गांव के जममो देवता मन ल सुमर गांव के सुख शांति के रक्षा बर गांव के मेडो में नांगर गाडिया के पूजा कर गांव बांधे जाथे। अऊ खार में पोई ढीले जाथे सवनाही तिहार में गांव के मनखे मन ल एक दिन बर गांव से बाहिर जाना मना रहिथे ये दिन हफ़्ता में एक दिन सुरताय के दिन घलो कहे जाथे। ये आलेख ल हमर छत्तीसगढ़ जिला रायपुर तहसील तिल्दा नेवरा के नेवरा नगर के मशहूर चित्रकार, कलाकार श्री धनेश साहू के हरय। जेन हर सम्मान के पात्र हरय।