जगदलपुर (संतोष कुमार वर्मा) 16 दिसंबर: केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह अपने बस्तर प्रवास के दूसरे दिन आज अमर वाटिका में नक्सली हमले में शहीद जवानों और नक्सली हिंसा से पीडि़त नागरिकों के परिजनों से मिल अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। इस अवसर पर केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि आप सभी ने जैसे अपने परिजनों को खोया है वैसा इस देश में और छत्तीसगढ़ में किसी को न खोना पड़े, मैं वर्दी पहन कर शहीद हुए और नक्सली हमलों में जान गवानें वाले सभी को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मैं विश्वास दिलाता हूं कि मां दंतेश्वरी की धरती से नक्सलवाद को पूर्ण रूप से समाप्त कर देंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री ने परिजनों से चर्चा करते हुए कहा कि कोई लम्बी और वेदनापूर्ण लड़ाई में आपने अपनों को खोया है, अपनी इस दर्द को कुछ कम नहीं कर सकता है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने उनकी पुण्य स्मृतियों को सहेजने का काम कर रहीं है। इन स्मृतियों से शहीदों और आप सभी परिजनों के त्याग को चिरस्थाई बनाने का काम किया जाएगा। साथ ही भावी पीढ़ी को प्रेरणा देगा कि शहीदों ने अपनों की चिंता किए बिना देश के लिए अपना बलिदान दिया।
गृहमंत्री श्री शाह ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शहीदों के परिजनों की समस्या सुनने के लिए पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय में सप्ताह में एक दिन नियत किया गया है। उन्होंने शासन की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि आईजी कार्यालय में कलेक्टर भी मौजूद रहें और इस मुहिम का हिस्सा बने। केंद्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि अपनों को खोने का दर्द ईश्वर भी कम नहीं कर सकता किंतु हम कुछ ऐसी व्यवस्था और प्रारूप बनाएंगे जिससे आपकी पीड़ा को कम किया जा सके।
इस अवसर पवर पीडि़त परिवारों ने भी अपनी आप बीती सुनाई और अनुभव साझा करते हुए जिला नारायणपुर अंतर्गत ग्राम सारावाही के मनोज कुमार धु्रव ने बताया कि उनके पिता राम साय धु्रव को 9 मार्च 2018 को नक्सली घर से उठाकर ले गए। उन्हें गांव के नजदीक खेत में ही नक्सलियों द्वारा जन अदालत लगाकर मुखबिरी की शिकायत में गला रेत कर हत्या कर दी गई थी। मेरे पिता जी का क्या कसूर था जो उनकी निर्मम हत्या कर दी गई। मनोज ने राज्य शासन का आभार जताया और कहा कि अभी वह होमगार्ड के जवान के रूप में सेवाएं दे रहा है। इसी तरह कोंडागांव जिला के ग्राम बांसकोट की रहने वाली श्रीमती शांति नेताम ने बताया कि मेरे पति स्वर्गीय रतन लाल नेताम जिला पुलिस बल में कार्यरत थे। वह कोंडागांव में तैनात थे। 17 मई 2012 को लगभग शाम 7.30 बजे नक्सलियों द्वारा की गई फायरिंग में वे शहीद हो गए। मुझे कुछ दिनों में ही आरक्षक के रूप में अनुकंपा नौकरी प्रदान की गई। इसके साथ ही लगभग 88 पीडि़त परिवारों ने अपना दर्द साझा किया।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आप सभी के दु:ख में हम सहभागी हैं और जल्द ही बस्तर में शांति स्थापित होगी और लगातार विकास के कार्य जारी रहेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि आपके परिजनों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार साथ मिलकर आपके हितों का ध्यान रखेगी हम आप सभी के लिए जो बेहतर होगा वह करने के लिए हम संकल्पित होकर काम कर रहे हैं। उन्होंने परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और शहीदों को नमन किया।
उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि बस्तर में शांति व उन्नति के लिए शहीद हुए जवानों और नक्सली हिंसा में पीडि़त परिवार के परिजनों से हम मिलना चाह रहे थे। आप सभी हमारे परिवार का हिस्सा हैं और अपनों को खोने का यह दु:ख हम सभी को समान पीड़ा दे रहा है।