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संजय जोशी के परिवार पर हो रहे लगातार हमले दहशत में पूरा परिवार

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‎बिलासपुर : जिले के कोटा थाना क्षेत्र अंतर्गत पिपरतराई निवासी संजय जोशी के परिवार पर पिछले कई दिनों से हो रहे हमलों और संदिग्ध गतिविधियों ने परिवार को भयभीत कर दिया है। पीड़ित परिवार ने लगातार घटनाओं की शिकायत पुलिस प्रशासन से की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। प्रशासनिक उदासीनता और आम नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। लगातार हो रहे हमले और संदिग्ध गतिविधियां न केवल संजय जोशी के परिवार के लिए खतरा हैं, बल्कि पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी पर भी सवालिया निशान लगाते हैं।

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पुलिसकर्मियों का कहना है कि ,”तुम लोग कैसे साबित करोगे कि वही व्यक्ति है और हमला हो रहा है? सबूत इकट्ठा करो, फिर कार्रवाई करेंगे।”जो कि पीड़ित परिवार के लिए न्याय की प्रक्रिया को और भी अधिक कठिन बना देता है। आपको बता दे कि परिवार पहले ही वीडियो और सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से संदिग्ध गतिविधियों के प्रमाण पूर्व में ही प्रस्तुत कर चुका है।

संदेहास्पद गतिविधियां :

‎सफेद रंग की कार का बार-बार आना : ‎सीसीटीवी फुटेज में कार का आना-जाना और उसके रुकने की गतिविधियां किसी साजिश का संकेत हो सकती हैं। यह लगातार हो रही घटनाओं में किसी विशेष व्यक्ति या समूह की संलिप्तता की ओर इशारा करता है।
पथराव की घटनाएं : पिपरतराई स्थित मकान पर लगातार हो रहे पथराव ने परिवार को मानसिक रूप से प्रभावित किया है। इस तरह की घटनाएं न केवल डर और असुरक्षा का माहौल बनाती हैं, बल्कि जान-माल की क्षति का भी खतरा उत्पन्न करती हैं।

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पुलिस प्रशासन की भूमिका : सकरी और कोटा थानों में की गई शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई न होना प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है।

‎सीसीटीवी फुटेज और वीडियो : परिवार ने प्रमाण के रूप में वीडियो और फुटेज उपलब्ध कराए हैं, जो जांच के लिए पर्याप्त माने जा सकते हैं।

प्रतिक्रिया में देरी : घटना की सूचना उच्च अधिकारियों तक भी पहुंचाई गई, लेकिन जवाब न आना या कार्रवाई में देरी प्रशासनिक असंवेदनशीलता दिखाता है।

‎आगे की आवश्यकता :

त्वरित जांच : पुलिस को सफेद कार और उसके मालिक का पता लगाकर उससे पूछताछ करनी चाहिए।
परिवार की सुरक्षा : पिपरतराई स्थित मकान और परिवार को तत्काल सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
साक्ष्यों की फॉरेंसिक जांच : सीसीटीवी फुटेज और वीडियो का तकनीकी विश्लेषण करके संदिग्ध की पहचान की जा सकती है।

‎ऐसे मामलों में पुलिस की त्वरित कार्रवाई न केवल पीड़ित परिवार का भरोसा जीत सकती है, बल्कि संभावित बड़ी घटनाओं को रोकने में भी सहायक हो सकती है। इस प्रकार की उदासीनता से आम नागरिक खुद को असहाय महसूस करने लगते हैं और कानून व्यवस्था पर से उनका भरोसा डगमगा सकता है। यह मामला पुलिस और प्रशासन से संवेदनशीलता और जिम्मेदारी की अपेक्षा करता है। प्रशासन को जल्द से जल्द इस मामले में ठोस कदम उठाकर परिवार को सुरक्षा का आश्वासन देना चाहिए, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके।‎

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Rajendra Sahu

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