
रायपुर : वेलफेयर फाउंडेशन सोसायटी एवं सीनियर सिटीजन रिक्रिएशन सेंटर के निवेदन पर जीवन प्रबंधन गुरु श्रद्धेय पंडित श्री विजय शंकर मेहता जी सुबह 8:00 से 9:00 तक ऑक्सीजन गार्डन स्थित। श्री हनुमान मंदिर परिसर में “परिवार के राम-राम का परिवार” विषय पर व्याख्यान दिए। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि कैसे हम सबको रामजी के चरित्र को अपने जीवन में उतारना चाहिए। सबसे पहले हम सबको अपने अपने माता पिता को जितना ज्यादा हो समय देना चाहिए। उनके साथ बैठने मात्र से उनकी पॉजिटिव वाइव्स से ही हमे फायदा मिलता है।

बता दे कि आगे कहा दूसरा अपनी जीवन साथी के साथ कैसे सीता मैया राम जी के मन की बात उनके बिना बोले समझ जाती थी। इस बात को उन्होंने इस प्रसंग से जोड़कर समझाया। जिसमे जब राम जी वनवास के समय नाव से नदी पार करने के बाद केवट को देने रामजी के पास कुछ नहीं था। तब सीता मैया रामजी के मन की बात को समझते हुए। बिना समय गंवाए अपनी प्रिय राम नाम की अंगूठी रामजी को केवट को देने के लिए दे दी। तात्पर्य यह कि पति पत्नी को एक दूसरे के मन की समझ सके। इतना आपस में प्यार और विश्वास होना चाहिए।

आगे कहा कि तीसरा बच्चों के बारे में बताया कि हमें अपने बच्चों को हमेशा भगवान से जोड़ कर रहना सीखाना चाहिए। इसके संबंध में बाली और अंगद के प्रसंग से जोड़ा और बताया कि रामजी के बाली के वध के समय बालि ने राम जी से अंगद को रामजी को सौंपते हुए। कहा कि अब आप ही मेरे बेटे अंगद को अपना लो और अंगद ने भी बिना कोई सवाल किए तुरंत रामजी के साथ चले गये। तात्पर्य यह कि बच्चों को अपने माता पिता की हमेशा नियत देखना चाहिए। कभी भी कोई भी माता पिता अपने बच्चों का हित ही देखते है।
वही चौथा बात रिश्ते निभाने की थी। ये भी बहुत सुंदर प्रसंग के साथ बताया। कि कैसे जब राम जी रावण का वध कर 14 वर्षों के वनवास के बाद जब अयोध्या लौटे। तब वानर सेना को रावण वध का श्रेय दिया। तात्पर्य यह कि हमें भी कभी भी रिश्तों को जोड़े रखने के लिए किए गए कार्यों का श्रेय सामने वाले को देना चाहिए। अंत में हनुमान चालीसा को 3.5 मिनिट में अपनी सांसों को अंदर बाहर करते हुए अपने जीवन में लाना चाहिए। इससे अपने शरीर में जीवन में एक पॉजिटिव ऊर्जा का संचार होता है।
गौरतलब हो कि यह कार्यक्रम रायपुर वेलफेयर फाउंडेशन सोसायटी और सीनियर सिटीजन रिक्रिएशन सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था।