
रायपुर : खाद्य विभाग के अजीबोगरीब फैसले ने आम लोगों के साथ ही 13779 राशन दुकानदारों को परेशान कर – दिया है। विभाग की सचिव पी अन्बलगन की ओर – से राज्य के सभी कलेक्टरों को चिट्ठी भेजकर कहा है कि दो साल पहले राशन दुकानों में जो गड़बड़ी – मिली थी उसकी जांच अब तक पूरी नहीं हो पाई है। 11 से 10 ऐसे में राज्य के सभी राशन दुकानों का 1 – अप्रैल तक भौतिक सत्यापन किया जाए। यानी राशन – दुकानों में कितना राशन बाकी था। कितना बंटा और – दुकान के खिलाफ कोई मामला तो लंबित नहीं है। यह सबकी जांच की जाए। वही जिन दुकानों की जांच पूरी हो – वहां से राशन देना शुरू कर दिया जाए। जिन दुकानों की जांच नहीं हुई वहां से राशन न बांटा जाए।
बता दे कि यह खाद्य विभाग के इस आदेश के बाद कई जिलों के राशन दुकानों में राशन बांटने का काम ही नहीं हो पा रहा है।खाद्य मंत्रालय के इस फरमान के अनुसार खाद्य विभाग के निरीक्षकों सहित राजस्व और सहकारिता विभाग के कर्मचारी 10 अप्रैल तक 13 हजार से ज्यादा दुकानों का सत्यापन पूरा करेंगे।
गौरतलब हो कि इस फैसले का अफसरों ने भी विरोध शुरू कर दिया है। खाद्य विभाग अपने प्रभार की दुकानों की जांच अन्य विभाग के अधिकारियों से नहीं कराना चाहता है। करीब दो साल पहले हुई। जांच में पांच हजार से ज्यादा दुकानों में बड़े पैमाने में गड़बड़ी पाई गई थी। इसके बाद से जांच चल रही है। नए आदेश में खाद्य निरीक्षक का आधार राशन दुकान से लिंक कर दिया गया है। निरीक्षक अपने उंगलियों का इंप्रेशन नहीं देगा। तब तक दुकान की जांच नहीं हो सकेगी।
जाने क्या था चावल फर्जीवाड़ा का मामला
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार की ओर से राज्यभर के राशन दुकानों की जांच कराई गई थी। सरकार का आरोप था कि राशन दुकानों में कई महीने का स्टॉक बाकी होने के बावजूद उन्हें नया स्टॉक जारी किया जाता रहा। राज्यभर में 216 करोड़ के चावल के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था। राज्य की 13779 राशन दुकानों को पिछले साल मार्च में ही ऑनलाइन स्टॉक अपडेट करना था, लेकिन केवल 691 राशन दुकानों ने ही किया। 33 जिलों में अभी भी राशन दुकानों से 15.57 लाख मीट्रिक टन चावल और 48 हजार क्विंटल शक्कर गायब है। इसकी कीमत 200 करोड़ से भी ज्यादा है। खाद्य विभाग ने इसी को लेकर आदेश जारी किया है कि जांच पूरी होने के बाद ही राशन बांटा जाए।