
ट्रेनी महिला SI को अवैध विवाह करने व एक घर बर्बाद होने से बचाने के लिए भेजा गया नारी निकेतन
ट्रेनी महिला SI को अवैध विवाह करने व एक घर बर्बाद होने से बचाने के लिए भेजा गया नारी निकेतन
रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक, सदस्य द्वय श्रीमती सरला कोसरिया श्रीमती लक्ष्मी वर्मा जी की न्यायपीठ ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की यह प्रदेश स्तर पर आज 309 वीं एवं रायपुर जिले की 151 वीं जनसुनवाई की गई।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसके पति का अन्य महिला के साथ अवैध संबंध है और आवेदिका से बिना तलाक लिए आवेदिका के पति ने अवैध रूप से दूसरा विवाह कर लिया है। आयोग के द्वारा दूसरी महिला के मोबाईल की जांच करने पर अनावेदकगणों की आपत्तिजनक स्थिति की तस्वीरें मिली, जिससे यह पुष्टि हुई कि आवेदिका के पति व दूसरी महिला ने अवैधानिक रूप से दूसरा विवाह किया है। वर्तमान में दूसरी जो अवैध रूप से आवेदिका के पति से विवाह की है वह महिला सब इंस्पेक्टर के पद पर पुलिस ट्रेनिंग सेंटर चंदखुरी(रायपुर) में ट्रेनिंग ले रही है। कानून की जानकार होने के बाद भी वह आवेदिका व उसके दोनो बच्चों को परेशान कर रही है। तथा वह सब इंस्पेक्टर महिला के द्वारा आवेदिका और उसके बच्ची को डराया धमकाया जा रहा था जिससे इस महिला सब इंस्पेक्टर के भय से आवेदिका और बच्ची आत्महत्या करने की नौबत में आ चुकी है। ऐसी दशा में दूसरी महिला के द्वारा ली जा रही सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग पर रोक लगाने एवं बर्खास्त करने हेतु आयोग के द्वारा डी.जी.पी. रायपुर को पत्र प्रेषित किया गया। साथ ही इस कृत्य के लिए अनावेदिका दूसरी महिला( ट्रेनी सब इंस्पेक्टर) को अपने आचरण व व्यवहार में सुधार के लिए तथा आवेदिका व उसके बच्चों की जिंदगी से दूर रहने के लिए नारी निकेतन भेजा गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका एक बुर्जुग महिला है जिसमें उसने प्रकरण प्रस्तुत किया कि आवेदिका को उसी के मकान से निकाल दिया गया जिस पर आयोग ने सुनवाई करते हुए बुर्जुग मां को 15 दिवस के अंदर घर वापस करने का अनावेदकगणों को निर्देश दिया है।
एक अन्य प्रकरण में पीड़ित आवेदिका ने बताया कि अनावेदक ग्राम पंचायत सचिव आवेदिका को वांछित दस्तावेज नहीं दे रहा है और आवेदिका के पति से मिलीभगत कर दस्तावेज रोक रहा है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक सचिव ने यह स्वीकार किया कि उसने जानबूझ कर आवेदिका को परेशान किया और 6 माह से उसे घूमा रहा है। शासकीय सेवा में रहने के बाद भी अपने पद की जिम्मेदारी व गंभीरता को जानबूझकर दांव पर लगाकर आवेदिका के पति का साथ दे रहा है और शासकीय सेवा कर्त्तव्यों का उल्लंघन कर रहा है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक सचिव आवेदिका को दस्तावेज देने के लिए राजी हुआ। आयोग के न्यायपीठ ने कहा कि यदि अनावेदक पंचायत सचिव दस्तावेज 15 दिन के नादर नहीं देता है तो पंचायत सचिव की सेवा समाप्ति की अनुशंसा की जायेगी।