
राजनीति में बड़ा खुलासा: 30 साल बाद रजनीकांत ने तोड़ी चुप्पी, बताया क्यों बोले थे जयललिता के खिलाफ – CM24News.com
सुपरस्टार रजनीकांत का बड़ा बयान, कहा- "मेरी टिप्पणी से बर्खास्त हुआ था एक मंत्री, वहीं से शुरू हुई मेरी विरोध की राह"
चेन्नई: दक्षिण भारतीय सिनेमा के सुपरस्टार रजनीकांत ने एक बार फिर सुर्खियों में आकर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। 30 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद उन्होंने आखिरकार खुलासा कर ही दिया कि उन्होंने तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयान क्यों दिया था। यह बयान उस दौर में बेहद चर्चा में था और अब भी राजनीतिक इतिहास में एक अहम मोड़ माना जाता है।
रजनीकांत ने बताया कि 1996 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने जयललिता के शासन पर सवाल उठाए थे। उनका कहना है कि उन्होंने ऐसा तब किया जब एक मंत्री द्वारा की गई अनुचित हरकत पर कार्रवाई नहीं की गई। रजनीकांत के अनुसार, उनकी आलोचना के बाद ही उस मंत्री को बर्खास्त कर दिया गया था। यह घटना उनके लिए एक चेतावनी और निर्णय का मोड़ बनी।
जब सिनेमा से राजनीति की ओर बढ़ा कदम
रजनीकांत का कहना है कि उन्होंने कभी राजनीति में आने की सोची नहीं थी, लेकिन समाज और लोगों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को नज़रअंदाज़ भी नहीं कर सकते थे। उन्होंने कहा, “मेरे बयान का असर तब इतना गहरा हुआ कि एक मंत्री को पद छोड़ना पड़ा। मैंने तब समझा कि मेरी आवाज़ का वज़न है और जनता मुझसे उम्मीद करती है।”
उनके अनुसार, जयललिता का शासन लोगों में डर और असंतोष का कारण बन गया था। उन्होंने देखा कि जनता खुलकर अपनी बात नहीं कह पा रही थी और यही उन्हें बोलने के लिए मजबूर कर गया।
“जयललिता से मेरा व्यक्तिगत बैर नहीं था”
रजनीकांत ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका जयललिता से कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं था। “मैंने उनके खिलाफ कुछ नहीं किया, बल्कि उस व्यवस्था के खिलाफ बोला था जो लोगों की आवाज़ दबा रही थी,” उन्होंने कहा। उन्होंने बताया कि उनका मकसद राजनीति में उतरना नहीं था, बल्कि लोगों को उनके अधिकार दिलाना था।
जनता ने दिया साथ
रजनीकांत के उस वक्त के बयान को जनता का भरपूर समर्थन मिला था। 1996 के विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके की करारी हार हुई थी और इसे रजनीकांत के उस बयान का नतीजा भी माना गया। यह पहला मौका था जब एक फिल्म स्टार की राजनीतिक टिप्पणी ने पूरे चुनावी समीकरण को बदल दिया।
राजनीति में न आने का फैसला क्यों लिया?
हालांकि इतने बड़े जनसमर्थन के बावजूद रजनीकांत ने राजनीति में सक्रिय रूप से आने का मन नहीं बनाया। उनका कहना था कि उन्होंने कोशिश की थी, लेकिन स्वास्थ्य कारणों और कुछ अन्य निजी कारणों से उन्होंने खुद को उस दुनिया से अलग रखा।
आम जनता में फिर जगी उम्मीद
रजनीकांत के इस नए बयान के बाद तमिलनाडु की राजनीति में हलचल मच गई है। सोशल मीडिया पर उनके प्रशंसक और समर्थक फिर से उन्हें राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील कर रहे हैं।
निष्कर्ष
सुपरस्टार रजनीकांत का यह खुलासा न केवल तमिल राजनीति के इतिहास में एक अहम दस्तावेज है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सही समय पर उठाई गई आवाज़ किस तरह व्यवस्था को हिला सकती है। 30 साल बाद भी उनकी बातों में वही दम है और जनता आज भी उन्हें एक उम्मीद की नज़र से देखती है।