थाने में वीडियो रिकॉर्डिंग जासूसी नहीं बॉम्बे हाई कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय
मुम्बई : सुभाष अठारे बनाम महाराष्ट्र राज्य (आपराधिक आवेदन 3421/2022)
बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने अपने ऐतिहासिक फैसले में यह स्पष्ट किया कि पुलिस स्टेशन में वीडियो रिकॉर्डिंग करना जासूसी के दायरे में नहीं आता। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि “ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923” की धारा 3 के तहत पुलिस स्टेशन को “प्रतिबंधित स्थान” के रूप में नहीं माना जा सकता।
मामले का विवरण
यह मामला अहमदनगर जिले के पाथर्डी पुलिस स्टेशन से जुड़ा है।
- घटना का दिनांक: 21 अप्रैल 2022
तीन अज्ञात व्यक्तियों ने सुभाष और संतोष अठारे के घर में जबरन घुसपैठ की और उनकी मां से दुर्व्यवहार किया। इसके बाद सुभाष ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई। - एफआईआर का पंजीकरण:
पाथर्डी पुलिस स्टेशन ने घटना के बाद केवल एक गैर-संज्ञेय (Non-Cognizable) शिकायत दर्ज की।
जब सुभाष ने पुलिस से यह पूछताछ की कि संज्ञेय अपराध क्यों नहीं दर्ज किया गया, तो पुलिस ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए उन्हें धमकाया। - वीडियो रिकॉर्डिंग:
इसके बाद, सुभाष ने पुलिस स्टेशन में पुलिस अधिकारी के साथ हुई बातचीत को रिकॉर्ड किया। इसके आधार पर पुलिस ने उनके खिलाफ “ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923” की धारा 3 और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी और 506 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली। - हाई कोर्ट में याचिका:
सुभाष और संतोष अठारे ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर को रद्द करने की मांग की।
कोर्ट का आदेश और तर्क
फैसले की मुख्य बातें:
- पुलिस स्टेशन “प्रतिबंधित स्थान” नहीं है:
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट” की धारा 2(8) में “प्रतिबंधित स्थान” की परिभाषा में पुलिस स्टेशन शामिल नहीं है। इसलिए, वीडियो रिकॉर्डिंग को “जासूसी” नहीं माना जा सकता। - जासूसी की परिभाषा:
एक्ट की धारा 3 के तहत जासूसी का मतलब किसी ऐसी जगह पर जाना, स्केच बनाना, या सूचना इकट्ठा करना है जो राज्य की सुरक्षा और हितों के लिए हानिकारक हो।
पुलिस स्टेशन में की गई रिकॉर्डिंग इन शर्तों को पूरा नहीं करती है। - एफआईआर का आंशिक रद्दीकरण:
कोर्ट ने “ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923” के तहत लगाए गए आरोपों को रद्द कर दिया। हालांकि, भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला आगे बढ़ाने की अनुमति दी।
आदेश:
चार्जशीट रद्द:
कोर्ट ने कहा कि पाथर्डी पुलिस स्टेशन के अपराध संख्या 710/2022 से जुड़े चार्जशीट और “ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट” के तहत लगाए गए आरोप अमान्य हैं।
अन्य धाराओं पर विचार:
अदालत ने मजिस्ट्रेट को अन्य धाराओं (120-बी और 506) पर विचार करने और जरूरत पड़ने पर केस को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए।
फैसले की तारीख: 23 सितंबर, 2024
जज: माननीय न्यायमूर्ति श्रीमती विभा कंकनवाड़ी और एस.जी. चपलगांवकर
इस निर्णय का प्रभाव
- नागरिक अधिकारों की रक्षा:
यह फैसला आम नागरिकों को अपने अधिकारों की रक्षा करने और पुलिस की मनमानी को चुनौती देने में मददगार साबित होगा। - पुलिस की जवाबदेही:
पुलिस थाने में रिकॉर्डिंग को जासूसी न मानने का यह फैसला पुलिस अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति अधिक सतर्क करेगा।
संदर्भ: यह निर्णय कानून के दायरे में नागरिकों के अधिकारों को मजबूती प्रदान करता है और “गोपनीयता अधिनियम” के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ है।