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पं. रवि. विश्वविद्यालय में छत्तीसगढ़ की पहली त्यौहार हरेली का आयोजन किया गया।

रायपुर : हिंदू धर्म में हरियाली अमावस्या का बहुत महत्व है, जिसे सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है, वहीं इस दिन छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्योहार हरेली मनाया जाता है जो मुख्यतः किसानों और कृषि और प्राकृतिक से जुड़ा होता है. इस हरेली त्योहार में किसान अच्छी फसल की कामना के साथ खेती-किसानी से जुड़े औजारों की पूजा करते है, छत्तीसगढ़ में हरेली का मतलब ‘हरियाली’ होता है जिसे ‘हरियाली अमावस्या’ के नाम से भी जाना जाता है।

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स्वयं सेवक प्रकाश यदु ने बताया की हरियाली अमावस्या के दिन मनाने वाला हरेली त्योहार किसानों का त्योहार है. इस त्योहार के पूर्व तक किसान अपनी फसलों की बोआई या रोपाई कर लेते हैं और इस दिन कृषि संबंधी सभी यंत्रों जो कृषि में उपयोग होते है जैसे हल, नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा, साबर आदि की अच्छे से पानी से धोकर साफ-सफाई करते हैं. सभी को एक स्थान पर रखकर उसकी विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं. इस दिन घर में महिलाएं चावल आटे और गुड़ से बने छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाती हैं. जिसे गुढ़ा चीला भी कहते है, इसी चीला को पूजा में भोग लगाया जाता हैं, इस हरेली के दिन घरों में बैल, गाय और भैंस को बीमारी से बचाने के लिए बगरंडा और नमक खिलाने की परंपरा है.
इसी कड़ी में प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी छत्तीसगढ़ की पहली त्यौहार हरेली का आयोजन विश्वविद्यालय प्रांगण में किया गया जिसमें मुख्य रूप से कुलपति प्रोफ़ेसर सच्चिदानंद शुक्ल सर जी के निवास स्थान पर मनाया गया ।

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बता दे कि इस कार्यक्रम में माननीय कुलपति जी ने स्वयंसेवकों का उत्साहवर्धन करते हुए कहते हैं कि हरेली पर्व हमें ऊर्जा एवं उत्साह प्रदान करती है। जिस प्रकार गर्मी के मौसम में सारे पेड़ पौधे एवं टहनियां सुख जाती है तथा बारिश के आते ही सभी सूखे पेड़- पौधें हरे भरे हो जाती हैं, ठीक उसी प्रकार विद्यार्थी जीवन में भी बहुत सारे कठिनाई, असफलता और मुश्किले आती हैं, जिससे हमें निराश नहीं होना चाहिए, जैसे सूखे टहनियां, पेड़ और पत्तियां बारिश आते ही हरी-भरी हो जाती हैं, ठीक वैसे ही हमारे जीवन में एक समय आता हैं जिससे हमारी सारी परेशानियां, कठिनाई और मुश्किले दूर हो जाती हैं।

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वही साथ ही घरों के दरवाजे में नीम के डंगाल लगाने के विधि के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि बारिश में उत्पन होने वाली हानिकारक सूक्ष्मजीवों से बचाव एवं वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने में मददगार हैं। साथ ही राष्ट्रीय सेवा योजना अध्ययन शाला इकाई के स्वयं सेवक द्वारा किये जाने वाले नियमित गतिविधि का प्रशंसा करते हुए, गतिविधियों के विस्तार के विषय में चर्चा एवं मार्गदर्शन करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना विश्वविद्यालय के लिए कैसे महत्वपूर्ण हैं इसकी विस्तृत जानकारी स्वयं सेवकों को दिए।

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साथ ही कार्यक्रम अधिकारी डॉ. कमलेश शुक्ला सर ने भी राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़े विभिन्न विषयों की जानकारी स्वयंसेवकों को रोचक तरीके से बताए।

इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना अध्ययन शाला इकाई पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के वरिष्ठ स्वयंसेवक, दीपक साहू, संजय साहू, तेज सिन्हा, प्रकाश यदु, सरिता सिधार, विनोद साहू, पंकज ठाकुर, दीक्षा वैष्णव, घनश्याम, सीमा, रितु यदु , रोशनी ठाकुर, एवं अन्य स्वयं सेवक भी उपस्थित थे।

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