टंडवा स्थीत बजरंग प्लांट मे मजदूर की गीरने से मौत :छत्ती क्रांति सेना 25 लाख मुवावजा को अडा

Rajendra Sahu
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तिल्दा नेवरा : समीपस्थ क्षेत्र के बजरंग पांवर एंड इस्पात मे बीती रात को एक मजदूर की कीलन से गीरकर मृत्यु होजाने की मामला सामने आया है। चौकाने वाली खबर यह है कि दुर्घटना होने के बाद मृतक को सीधा मीशन हास्पिटल छोड दिया गया। और परिजन को बताने की जरूरत भी नहीं समझा गया। सूत्रों के अनुसार अभी मृतक की लाश मीशन हास्पिटल मे ही है। जहां पर छत्तीसगढीया क्रांति सेना के युवाओं द्वारा उसके परिवार को उचित मुआवजा 25 लाख व नौकरी की मांग पर अडे हुए हैं।

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गौरतलब हो कि टंडवा व किरना के बीच संचालित बजरंग इस्पात एड पावर प्लांट है। जहां पर पहले भी दुर्घटनाओं की मामला प्रकाश में आया है। जहां कल बीते रात को ग्राम टंडवा निवासी पारसमणी यदू रात्रि पाली ड्यूटी गया था। जहां उसकी कार्य के दौरान किलन से गीर गया। जीससे उसकी हास्पिटल मे मृत्यु हो जाना बताया गया है। वही परिजनो व हास्पिटल के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतक की पहले से ही मौत हो चुका था। इस घटना पर पहले प्रबंधन के द्वारा किसी को बताने से परहेज करना बताया गया। धीरे धीरे लोगो को पता चला। तब मामले की जानकारी हुई।

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बता दे कि इस घटना को लेकर छत्तीसगढीया क्रांति सेना के युवाओं के द्वारा उचित मुआवजा देने के लिए हास्पिटल पर ही अडे हुए हैं। क्योंकि अभी भी लाश हास्पिटल पर ही है। प्रबंधन के द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ 17 लाख देने पर सहमति जताई जा चुकी है। पर अब मृतक के परिजनों के द्वारा छत्तीसगढीया क्रांति सेना के पास आवेदन देकर गोहार लगाया है। जिसपर मामले की गंभीरता को देखते हुए। यहां तिल्दा नेवरा खड के छत्तीसगढीया क्रांति सेना के युवाओं के द्वारा 25 लाख व 15000 पेंशन की मांग पर मीशन हास्पिटल पर ही अडे हुए हैं। जहां मीशन हास्पिटल पर ही मृतक का शव है।

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ज्ञात हो कि यदि छत्तीसगढीया क्रांति सेना के द्वारा रखे गए। 25 लाख मांग व पेंशन देने पर सहमति नही दिया जाता है। तो लाश को बजरंग प्लांट के मेन गेट पर ही रख कर जबर धर्ना देने की बात समाचार लिखे जाने तक कही जा रही है।

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यह भी बताया जाता है कि यहां के श्रमिको का शोषण भी किया जाता रहा है। सुरक्षा नियमों का पालन नही किया जाता। राज्य के न्युनतम मजदूरी दर को भी नहीं दिया जा रहा है। चूंकि यहा कोई श्रमिक संगठन नही है। इस लिए यहां के मजदूर खुल कर विरोध नही कर सकते हैं। न ही नौकरी, काम से निकाले जाने के डर से किसी को बताने से परहेज करते हैं। पर अब यहां मजदूर जागरूक हो रहे हैं।

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