झारखंड छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाली मार्गो मे बने तलाबनुमा गढ्ढे बन रही विकास मे बाधा

Rajendra Sahu
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बलरामपुर (छ ग) : छत्तीसगढ़ को झारखंड से जोडऩे वाले नेशनल हाइवे पर ऐसे कई बड़े-बड़े गड्ढों ने ले लिया है तालाब का रूप। हल्का भी बारिश होने पर तालाब जैसे तब्दील हो जाता है। जिसके चलते लोगो को 50 कि मी अतिरिक्त दूरी तय करने को विवश हैं। ये तस्वीर किसी तालाब की नहीं या फिर गांव की सडक़ की नहीं है । बल्कि नेशनल हाइवे की है। जिम्मेदारों को ये देखकर कोई फर्क नहीं पड़ता है। चौंकिये मत, यह कोई तालाब या नाला नहीं। जिसे पार करने के लिए नाव या पुलिया की जरूरत हो। यह रामानुजगंज-अम्बिकापुर का नेशनल हाइवे नं. 343 है। इसी नेशनल हाइवे 343 पर से होकर बलरामपुर वासी सहित। सैकड़ों वाहन प्रतिदिन अंबिकापुर आना जाना करते हैं।

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ज्ञात हो कि इससे संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को ये नजारा देख। कोई डर भय फर्क नहीं पड रहा है । अब तो ऐसी स्थिति निर्मित हो गई है कि बलरामपुर रामानुजगंज वासियों को अंबिकापुर जाने के लिए 110 किलोमीटर की जगह। इस यात्रा के लिए 160 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है। मजबूरी में अब बलरामपुर वाशी प्रतापपुर होते हुए। एवं रामानुजगंज वासी वाड्रफनगर होकर। अंबिकापुर आना-जाना कर रहे है।

गौरतलब हो कि इस प्रकार अतिरिक्त 20 से 40 किलोमीटर का सफर तय करना मजबूरी हो गई है। यहां सबसे बुरी स्थिति उन गम्भीर रूप से बीमार या घायल व्यक्तियों की हो जाती है। यदि इलाज के लिए अम्बिकापुर या आगे जाना हो। तो समय से पहुंच पाएंगे या नही इसका भय बना रहता है। तो वहीं पड़ोसी राज्य झारखंड या उत्तरप्रदेश इलाज के लिए जाते हैं। तो उसके बाद कई तरह के बीमारियां चपेट में आने का भय बना रहता है। आम जनो के साथ एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई वाली स्थिति निर्मित हो गई है।

सूत्रों के अनुसार नेशनल हाईवे 343 की स्थिति पिछले 3 वर्ष तक बलरामपुर एवं राजपुर के बीच अत्यंत जर्जर थी। जबकि बलरामपुर से रामानुजगंज तक रोड ठीक ठाक थी। परंतु अब बलरामपुर से रामानुजगंज तक की रोड की भी स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। पहले जहां लोग राजपुर से निकलने के बाद जर्जर सडक़ पार करते हुए। बलरामपुर तक पहुंचते थे। तो वह राहत महसूस करते थे। कि अब रामानुजगंज तक अच्छी सडक़ मिलेगी। परंतु अब तो बलरामपुर से राजपुर तक जैसे ही बलरामपुर रामानुजगंज के बीच के रोड की स्थिति हो गई है। इस रोड में लोग अब सफर करने से डरने लगे हैं।

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नेशनल हाइवे 343 की स्थिति अत्यंत जर्जर होने के बाद भी नेशनल हाइवे के अधिकारी इसे देखने तक की जहमत नहीं उठाते। यदि नेशनल हाइवे के अधिकारी चाहे तो कम से कम गड्ढा तो भरवा ही सकते हैं। सडक़ की बदतर स्थिति के कारण आम जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। कुछ गड्ढे भी भरे जाते हैं। खबर प्रशासन के बाद लेकिन वही सप्ताह 15 दिन में स्थिति फिर से यथावत हो ही जाता है। केवल नाम मात्र के लिए गड्ढे को मारम्मत किया जाता है। समय रहते यदि प्रशासन अपना ध्यान इस ओर नही देते हुए। कोई भी पहल नहीं की तो कभी भी जन आक्रोश भडक़ सकता है। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले का मुख्यालय बलरामपुर में स्थित है। जहां कार्यरत अधिकांश कर्मचारी रामानुजगंज में निवास करते हैं। वही जिले के सभी वरिष्ठ अधिकारियों का भी आवागमन होता रहता है।

परंतु इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाना समझ से परे है। कहा तो ये भी जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री की भी नहीं सुनते अधिकारी। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब पहली बार बलरामपुर रामानुजगंज जिले के ग्राम तातापानी में पहुंचे थे। तो लोगों ने उन्हें नेशनल हाइवे 343 की जर्जर स्थिति के बारे में अवगत कराया था। तभी पूर्व विधायक बृहस्पति सिंह के द्वारा यह भी कहा गया था। कि हमारे सरकार रोड की केवल मारम्मत ही नहीं। अपितु जितने भी टेढ़े-मेढ़े रोड है। उसे सीधा करने का काम करेगी और अच्छे रोड बनाने का कार्य करेगी हमारी सरकार। लेकिन करोड़ों की सुधारे करना तो दूर की बात रहा। केवल गड्ढों में गुजारा करना पड़ा। राहगीरों के द्वारा इस संबंध में उन नेशनल हाइवे के अधिकारियों को निर्देश देते हुए। कहा था की जितने भी गड्ढे हैं उन्हें भरें। कहने के बाद थोड़ा बहुत मारम्मत तो कर दिया गया था। लेकिन कांग्रेस सरकार 5 साल जस की तस बिता दी ।

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यहा की जनता अब बीजेपी सरकार से आस लगाए बैठे हैं। कि कांग्रेस ने तो टेढ़ी मेढ़े रोड को सीधा करने की बात कह कर केवल सपने ही दिखाएं। लेकिन अब बीजेपी की गारंटी देने वाली सरकार आ गई है। और अब बीजेपी की सरकार किस तरह रोडो की स्थिति में सुधार लाती है। आस लगाए बैठे हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बहुत ही अच्छी तरह तारिफ करेंगी और दुर्दशा रोड की स्थिति में सुधार लाएगा। यहां के रहवासी बताते हैं कि यहां हर जगह दो-दो फीट तक हो गए हैं गड्ढे। नेशनल हाइवे 343 पर राजपुर से रामानुजगंज के बीच कई ऐसी जगह है। जहां पर सडक़ पर दो-दो फीट के गड्ढे हो गए हैं। अनजान या बाहरी व्यक्ति जब इस सडक़ से जाता है। तो उनके लिए बहुत ही मुश्किल खड़ी होती है। ऐसा कोई दिन नहीं जिस दिन इन गड्ढों के कारण कोई न कोई दुर्घटना न घटती हो। वही यहां इलाज के लिए पड़ोसी राज्यों का रुख
नेशनल हाइवे 343 के द्वारा किया जाता है।

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अयसी यहां इतनी जर्जर स्थिति हो गई है। कि जब रामानुजगंज वासियों को इलाज के लिए अंबिकापुर जाना होता है। तो वह जाने से परहेज करते हैं। इलाज के लिए पहले जहां आम आदमी अंबिकापुर, बिलासपुर, रायपुर जाते थे। वहीं अब लोग सडक़ की दुर्दशा के कारण पड़ोसी राज्यों का रूख कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में गंभीर रूप से बीमार मरीज या गंभीर घायल व्यक्तियों की जान पर आफत बन आती है। इस लिए यहा कम से कम गड्ढे तो भरवा दे विभाग। नेशनल हाइवे की किस्मत जब सुधरे तब सुधरे। परंतु जो जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए है। कम से कम विभाग उन्हें तो भरवा ही सकता है। प्रत्येक वर्ष सडक़ के मरम्मत के नाम पर राशि आती है। परंतु अधिकारियों द्वारा खानापूर्ति कर पूरी राशि का बंदरबांट कर दिया जाता है। अधिकारियों को इन गड्ढों को भरवाना तो दूर देखने तक की फुर्सत नहीं है।

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