तिल्दा-नेवरा : दिवाली का समय निकल गया अब छोटी दिवाली आने को है। अयसे मे क्षेत्र के जुआरियों को पुलिस के साथ-साथ अब भगवान का भी डर नहीं रह गया है। यही वजह है कि, अब जुआरी धार्मिक स्थलों में भगवान के सामने बिना डर के जुआ खेलने से भी नहीं डर रहे हैं।
तिल्दा-नेवरा से 15 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मां बंजारी धाम खपरी (मढ़ी) के पास स्थित खुला मैदान आंवला नवमी पर जुआ खेलने का सुरक्षित अड्डा बन गया है। हर साल यहां इस दिन लाखों की जुआ डंके की चोट पर चलती है। मलाल कि, कोई इस पर कार्रवाई करे।
उल्लेखनीय है कि, धार्मिक स्थल के नजदीक हर साल आंवला नवमी के दिन जुआ की फड़ सजती है। दूर-दूर से जुआरी यहां पहुंचते है। सूत्रों की माने तो आंवला नवमी के दिन मंदिर के नजदीक खदान के समीप खुले मैदान में जुए की फड़ों में लाखों की जुआ खुलेआम चलती है।
बता दे कि बड़े-बड़े व्यापारी, उद्यमी धनवान यहां किस्मत अजमाने आते हैं। लेकिन इसी से लगा हुआ धार्मिक स्थल भी है जहां हर रोज हजारों श्रद्वालु दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते है। यहां पर ऐसा नजारा देख भक्तों में निराशा और आक्रोश व्याप्त है। इस साल भी आंवला नवमी पर रविवार को जुए की अलग-अलग फड़ सजा था जहां लाखों रुपए की जुआ खेली गई। वैसे तो जुआ खेलना गैर-कानूनी है, लेकिन क्षेत्र में यही एक ऐसा मंदिर है, जहां जुआ खेलना परंपरा सी बन गई है। साल में एक दिन के लिए यहां पर जुआ खेलने वालों को कानून भी नहीं रोकता। यहीं पर इस दिन पिकनिक मनाने वालों का मेला लगता है। भक्तों की भीड़ रहती है।
ज्ञात हो कि इधर, इसी दिन यहीं पर दूर-दूर से लोग जुआ खेलने के लिए आते हैं और अपनी किस्मत अजमाते हैं। देर रात तक माहौल खराब रहता है जिससे यहां आने वाले भक्तों में भय बना रहता है। जुए को लेकर न तो मंदिर ट्रस्ट गंभीर है और न ही स्थानीय पुलिस। कार्रवाई के अभाव में यहां इस दिन जुआरियों का मेला लगता है। बिना किसी रोकटोक के लाखों का जुआ खुलेआम खेलते हैं। पहले यह मंदिर के बिल्कुल नजदीक हुआ करता था अब थोड़ा सा दूर हट गया है लेकिन मंदिर के पास ही है ऐसे में यहां के प्रति भक्तों में कहीं न कहीं नकारात्मक छवि बन रही है। स्थानीय लोगों की मानें तो यहां लंबे समय से जुआ चला आ रहा है। किसी भी प्रकार का कोई विरोध नहीं होने से जुआरियों का हौसला बुलंद हैं। इलाके में खुलेआम चल रहे जुआ के अड्डे कानून व्यवस्था का खुला मजाक उड़ा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि, इस एक दिवसीय महा जुआ के बारे में पुलिस को जानकारी न हो। अवैध रूप से खेले जा रहे खेल से मंदिर ट्रस्ट के साथ-साथ आसपास के जनप्रतिनिधि भी अनजान बने हुए हैं। इतना ही नहीं शाम समय होते ही मंदिर के नजदीक शराबियों और गंजेड़ियों का भी महफिल सजता है। जहां खुलेआम जाम छलकाई जाती है। इससे भी जिम्मेदारों ने दूरी बना ली है। पुलिस के नाक के नीचे अवैध कारोबार का खेल खेला जा रहा है। इसके अलावा क्षेत्र के कुछ गांवों में जुए का खेल निर्बाध गति से चल रहा है। इतना ही नहीं पुलिस इस तरह का कारोबार होने से इंकार कर देती है। लोगों का कहना है कि इसके चक्कर में युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही हैं। कहीं न कहीं से इन जुआरियों को मौन संरक्षण मिल रहा है इसलिए कानून के हाथ इनके गिरेबान तक नहीं पहुंच पाते।